आजमगढ़ 14 जनवरी– प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी प्रभाग आजमगढ़ ने अवगत कराया है कि नीलगाय से फसल को बचाने के लिए मुर्गी के 10-12 अण्डे और 50 ग्राम वाशिंग पाउडर को 25 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाये और खड़ी फसल के मेड़ों पर छिड़काव करें। तीन किलो नीम की खली और तीन किलो ईट भट्टे की राख का पाउडर बनाकर प्रति बीघा के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है। 4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालकर घोल बनाकर पाँच दिन बाद छिड़काव करें। खेत की मेड़ो के किनारे करौदा, जेट्रोफा, तुलसी का रोपण भी सुरक्षा प्रदान करता है। खेत में आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करें। पोल्ट्री का कचरा, गौमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव किया जाय। खेत में रात के वक्त मिट्टी के तेल की डिबरी जलाने से नीलगाय नही आती है। 20 लीटर गौमूत्र, 5 किग्रा नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतुरा, 2 किग्रा मदार की जड, फल, फूल, 500 ग्राम तम्बाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसून, 150 ग्राम लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दे। इसके बाद एक लीटर दवा 80 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
—-जि0सू0का0 आजमगढ़-14-01-2022—–